। अपने आप से ।
- Hashtag Kalakar
- May 10, 2023
- 1 min read
By Kavita Batra
हां सच है , कि अब मुझे लोगाें से बात करना पसंद नहीं है ,
बेवजह शोर से अब मुझे सन्नाटे में अपने आप से मिलना पसंद है ।
कहां मैं अब इस शोर भरे सफर में अपने आप से मिल पाती हूं।
ऐसा नहीं कि अब मैंने महफिलों में जाना बंद करदिया,
बेवजह महफिलों कि रोशनी कि चमक से दूर अब मुझे सन्नाटे में अपने आप से मिलना पसंद है ।
कहां मैं अब इस शोर भरे सफर में अपने आप से मिल पाती हूं।
हां मुझे मेरी गर्म चाय कि प्याली, मेरा पसंद का गाना ,
मेरी अराम की कुर्सी और वो हल्की हवा के साथ वो बूंदो का गिरना पसंद है ।
कहां मैं अब इस शोर भरे सफर में अपने आप से मिल पाती हूं।
ऐसा नहीं हे कि किसी के साथ वैर है मेरा ,
बस अब बेवजह साथ से अब मुझे सन्नाटे में अपने आप से मिलना पसंद है ।
By Kavita Batra

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