"हिंद की हिन्दी"
- Hashtag Kalakar
- Oct 16
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By Aadesh Chauhan
ये हिंद की हिंदी चमकी जो बनकर विश्व के माथे की बिंदी।
कहानी, लेख, छंद, निबंध, नाटक, उपन्यास और कविताएं
जीवनी, आत्मकथा, संस्मरण और न जाने कितनी अन्य विधाएं।
मीठी, मधुर, सरस ये और सरल भी है देवनागरी की लिपि,
सुनते ही यह कानों में ऐसे घुलती जैसे ताज़े मीठे गुड़ की डली।
ये हिंद की हिंदी चमकी जो बनकर विश्व के माथे की बिंदी।
मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा और साथ में भारतेंदु हरिश्चंद्र,
सुभद्रकुमारी चौहान, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और सुमित्रानंदन पंत,
हरिवंश राय बच्चन, रामधारी सिंह दिनकर और धर्मवीर भारती,
इन सबने मान बढ़ाया इसका, सब तरफ अब पूजी जाती है हिंदी।
ये हिंद की हिंदी चमकी जो बनकर विश्व के माथे की बिंदी।
राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर इसने खोले बहुत आयाम,
सिर उठाकर आगे चलती है अब, न करती तनिक भी आराम
भारत को फिर से विश्व गुरु का तमगा अब है ये दिलाने वाली,
विश्व में अपना सर्वोच्च स्थान बनाने को हुई बहुत ही उतावली।
ये हिंद की हिंदी चमकी जो बनकर विश्व के माथे की बिंदी।
साथ निभाएगी उम्र भर अगर, पकड़कर रखेंगे इसका हाथ,
अपनेपन का अहसास रहेगा, और सब अपनों का भी साथ
अपनी भाषा में मन की बात करेंगे खुलकर, ना होगी कोई मजबूरी
अन्य भाषा भी है ज़रूरी पर, ना करेंगे उसकी ज़्यादा मज़दूरी।
ये हिंद की हिंदी चमकी जो बनकर विश्व के माथे की बिंदी।
By Aadesh Chauhan

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