साँसें हैं छुट्टी पर कल से
- Hashtag Kalakar
- Sep 8, 2023
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Updated: Aug 30
By Usha Lal कल करना है क्या क्या मुझको मन में ख़ाका खींच लिया था ! क्या पहनूँगा ! क्या खाऊँगा ! यह भी मैंने सोच लिया था । किस से मिल कर क्या कहना है , यह भी मन में मचल रहा था! कितनों से हिसाब करना है, गणना कर मैं पुलक रहा था ! केवल ‘कल ‘की बात छोड़ दो, थी तैयारी कई दशक की , संभवत: मैं सोच रहा था , मेरी पारी अजर -अमर थी! था निश्चिन्त सोच कर मैं यह , हैं अनन्त मेरी गतिविधियाँ , बहुत समय है पास मेरे , और अक्षुण्ण है जीवन की बगिया! आगे की तैयारी कर के मैं तो था निश्चिन्त स्वयम् से लेकिन मुझको नहीं पता था “सांसें “ हैं छुट्टी पर कल से ।।
By Usha Lal

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