top of page

संगदिल

Updated: Jul 24

By Dr Avlokita Sharma


संगदिल

श्रीमती प्रभा दीक्षित को  National level Online writing competition में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ, 10 ,000 रुपये नकद , एक certificate और एक बहुत सुंदर फूल बेला वाली कलमकारी साड़ी । 45 वर्ष की आयु में प्रभा के लिए ये बेहतरीन अनुभव था। घर गृहस्ती , परिवार की जिम्मेदारियों,  सामाजिक दायित्वों के चलते लेखन में अत्यंत रुचि रखने वाली प्रभा कभी समय नहीं निकाल पायी। पति और दोनों बच्चों के प्रोत्साहन का परिणाम था ये पुरस्कार।

प्रभा गौरवांवित मेहसूस कर रही थी !


हमेशा सुनते आए है खुशियां बांटने से बढ़ती है और दुख सांझा करने से कम। 

प्रभा ने पुरुस्काकर के साथ एक selfie खींचकर अपने सभी WhatsApp groups में भेज दी। साथ में लिखा कि  समारोह online था,  Gmeet का link केवल participants और organising committee के लिए ही मान्य था इस लिए किसी को आमंत्रित नहीं कर पायी । . 

हां ! वो जानती थी कि link share करके भी सभी अनुपस्थित ही होते क्योंकि समय जिनके  पास है  उन्हें Technology की समझ नहीं और जिन्हें है उन्हें दिलचस्पी नहीं।   


टक्क -आ- टक्क बधाई संदेश आने लगे कुछ मित्र,  कुछ पुराने जानकार,  कुछ पहचाने वाले। अब ईक्का दुक्का सच्चे शुभचिंतक तो सभी के होते हैं - कुछ एक ने collaboration का सुझाव दिया, तो किसी ने content writing की सलाह। माँ ने दुलार भेजा और छोटे भाई ने gift voucher . 


लेकिन सबसे शांत था family group. २० वर्ष के विवाह के उपरान्त ससुराल family ही तो कहलाता है!  अमूमन जहां एक दिन में आठ दस इधर उधर के बेतुके messages आते थे आज अकाल ग्रस्त क्षेत्र सा प्रतीत हुआ। 

55 members का group और सब चुप ......


अब इंसानी मन भी अजीब है,  जो मिल जाता है उसका मोल नहीं, किन्तु जो नहीं मिला उसकी के पीछे बेसुध सा भागता रहता है।  प्रभा ऐसी ही भावनाओ से सघर्ष कर रही थी ।


पत्नी का उखड़ा चेहरा पति श्री रघुवीर दीक्षित से जब देखा न गया तो तुरंत  ग्रुप में लिख भेजा 

"Feeling so proud. बस अब रुकना नहीं " 

और फिर शरू हुआ - शब्द खेला यानि messages की war game.


* मथुरा वाली मामी- "वाह वाह,  पत्नी के बहाने ही सही तुम ने भी group में कुछ लिख भेजा"

* जालन्धर वाले ताऊ- "kitchen तुम संभालने लगे हो?"

* गांधीनगर वाले मौसा-" क्यों सीधे साधे भले मानस की टांग खींचने लगे हो , विवाहित जीवन के बोझ का मारा है हमारा रघुवीर प्यारा"

* ससुर- "10,000 से क्या होता है,  इनाम की धन राशि तो ज्यादा होनी चाहिए थी,  प्रभा ने साड़ी देख कर भाग लिया होगा" 

* मथुरा वाली मामी- "चलो नयी साड़ी तो मिल गई,  यहां तो कई सालों से पुराने कपड़ों पे जी रहे है"

* सास- "आप अकेली नहीं है "

* सबसे बड़ी जेठानी-" वाह जी वाह प्रभा,  तुम कैसे भी करके अपने खुद के लिए time निकाल ही लेती हो, life enjoy करना हमें भी सीखा दो"

* जालंधर वाले ताऊ-" घर संभालना अनिवार्य है, शौक पूरे करने बैठ गए तो कंगाल हो जाओगे"

* सास- " किस्मत अपनी अपनी"

* नोएडा वाले बहनोई- "all good?" I thought कोई off हो गया" (just kidding) carry on

* सोनीपत वाली चाची-"ठंड का क्या हाल है?"

* मथुरा वाली मामी-" बुरा हाल है, वो तो भला हो neetu बेटी का जिसने  USA से jacket भेजी है बहुत गर्म , ऐसी quality यहां नहीं मिल सकती"

* सोनीपत वाली चाची-" बिल्कुल सही,  आप तो खैर गए नहीं , मेरी तो skin Melbourne जाकर खिल उठती है Tinku बेटा बेचारा बोलता रह गया......


Neetu typing...

Tinku typing...

‐------------------------------------

दीक्षित दंपती messages पढ़ रहा था । 

मौन ¡

उदास ¡

और एक ही विचार - 

आखिर परिवारजन क्यों है उन दोनों के प्रति- 

 ईर्ष्यालु ।।

 स्वार्थी ।।।

 संगदिल ।।। 

----‐----------



प्रिय पाठक आपका क्या कहना है?


By Dr Avlokita Sharma

Recent Posts

See All
Thinly Veiled Creases

By Paula Llorens Ortega Her veil was a shroud of mourning: a callous sobriety that bore too much weight but which the wisps of wind could carry. It hung loosely, swaying like a tendril of hazy mist. 

 
 
 
Where My Shadow Runs

By Roshan Tara Every morning, I sweep dust outside the tea stall. The school gate is right across. Kids laugh and run in, holding their mums’ and dads’ hands. They wear shiny shoes and smell like soap

 
 
 
The Light That Waited

By Roshan Tara I sat in my car, wanting to run. Or die. Work, family, my own skin crushed me. Then I looked up. An old man stood by the vegetable stall with a child. The vendor dumped scraps—spoiled,

 
 
 

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page