शाश्वत सत्य
- Hashtag Kalakar
- Oct 15
- 1 min read
By Navneet Gill (नवनीत गिल)
समझाये क्षीण काया,
है सभी कुछ, मोहमाया।
क्षणिक वो, भी फ़ानी,
गुनगुनाये, मृत्यु की कहानी।
पहन सफ़ेद लिबास,
जायेंगे तोड़कर विश्वास।
दे, अश्क-ए-सौग़ात,
लौटें न फिर, कह मुलाक़ात।
था शाश्वत सत्य यह,
जो नहीं पाया कभी कह।
बावरी कभी अंधेरी,
हे मानुष!!! किराये की कोठरी।
करनी पड़ेगी खाली,
एकदिन, भले हो सवाली।
चलेगा नहीं तब जोर,
सांझ चाहे हो बेशक "भोर"।
आयेगा जब बुलावा,
बग़ैर सुने तुम्हारा दावा।
चुपचाप, लेकर संग,
मोहपाश के बंधन कर भंग।
By Navneet Gill (नवनीत गिल)

Comments