विचार
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विचार

By Ateet Maurya


अन्धेरे में खुद की परछाई साथ छोड़ जाये,

तो औरों से हम क्या ही उम्मीद लगाये ?

आये हैं अकेले,तो लड़ना भी अकेले होगा ,

नहीं सोचता कि मुकम्मल जहान मिल जाये,


गैरों की आँखो में खुद को क्या ही ढूढ़ना,

अपनी आँखों मे ही जज्बात को समेटना,

कुछ गिर रहे हो मोती अगर तो गिरने देना,

तुमको समझ सके ना उसका क्या सोचना?





रेत के टीलों से भी ऊंचा विश्वास रखना,

धोखे की आंधी से बस बचाकर रखना,

फिर भी तुम टूटकर बिखर मत जाना,

चट्टान की तरह खुद को अडिग बनाना,


हर कदम पर यहाँ कातिल होंगे,

सपनो को तुम्हारे रौंदा जायेगा,

तब तुम भी इश्क करना सिखोगे,

मगर वो ,सपनो को बचाना होगा,


दूनिया के रस्मों की कश्मकश में ,

जीवन के रस्म भी निभाना तुम,

नफ़रतों की इन आंधियों में भी,

प्यार का ही दीप जलाना तुम


By Ateet Maurya




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