याद आते हैं वो बीते दिन जब
- Hashtag Kalakar
- May 8, 2023
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By Manju Singh
याद आते हैं वो बीते दिन,
जब कभी लगते थे सावन में दोज के मेले ।
घर आँगन में महकते थे पकवानों के पेड़े,
घर अपने आती थी हमारी बहन बेटियां,
घर आंगन में गूंजा करती थी उनकी अठखेलियाँ ।
हर मुँह बोले भाई के भी बंधती थी भर भर के राखियां,
चूड़ियों की खनक से गूंजता था घर आँगन,
कभी लगते थे सावन मे दोज के मेले ।।
सावन की बरसती फुआरों मे गाई जाती थी माघ मल्हारें,
घर घर लगते थे खुशियों के मेले ।
पर आज समय सिमटके रह गया,
त्यौहार भी अब नाम का रह गया,
नहीं आती अब त्योहारों पर बहन बेटियां,
सूने रहते हैं उनके बिना घर आँगन ।
झूले जिनपर पड़ा करते वो पेड़ भी ठूठ बनके रह गए,
समय के साथ रिश्ते भी दरकते चले गए,
याद आते हैं वो बीते दिन जब कभी लगते थे सावन में दोज के मेले ।।
By Manju Singh

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