मैं आसमान का वो खूबसूरत चाँद नहीं
- Hashtag Kalakar
- 8 hours ago
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By Preksha Kaliraman
मैं आसमान का वो खूबसूरत चाँद नहीं,
महज़ एक तारा हूँ जो और लाखों तारों में शुमार हूँ,
जो कभी एक बार तू पलट कर देखे मुझे,
मैं उस नामुमकिन घड़ी का इंतज़ार हूँ ।
कभी कुछ लफ़्ज़ों में कहना बेफ़िज़ूल लगता है,
मगर आँखें ये समझकर खामोश रहें ये ज़रूरी तो नहीं,
हम शायद सिर्फ़ उस एक शख़्स की राह देखते रहें,
मगर वो भी हमारे लिए मुंतज़िर हो ये ज़रूरी तो नहीं ।
तुम मेरी हर ख्वाहिश हो सकते हो,
मगर वो ख़्वाब मुकम्मल हो जाए ये ज़रूरी तो नहीं,
मैं तुम्हारे लिए ख़ुद को भी शायद भुला दूँ,
मगर मैं तुम्हारी यादों में शुमार हो पाऊँ ये ज़रूरी तो नहीं ।
मैं तुम्हारे लिए कविता लिख सकती हूँ,
मगर तुम उस कवि को पहचानो ये ज़रूरी तो नहीं,
मुझे तुम पर ऐतबार हो सकता है,
मगर तुम्हें भी मुझसे ही प्यार हो ये ज़रूरी तो नहीं।
मैं तुम्हारे लिए शायद हीर बन जाऊँ,
मगर तुम रांझा बन पाओ ये ज़रूरी तो नहीं।
हमारी कहानी शायद कभी शुरू हुई हो,
मगर वो मुकम्मल हो जाए ये ज़रूरी तो नहीं ।
मैं तुम्हें गले लगाकर शायद दुनिया की हर ख़ुशी नसीब हो जाए,
मगर तुम पल भर को भी मेरा साथ चाहो ये ज़रूरी तो नहीं,
मुझे तुम पर भरोसा हो सकता है,
मगर तुम उस यकीन को बनाये रखो ये ज़रूरी तो नहीं ।
मैं शायद तुम्हारे बिना टूट बिखर जाऊँ,
मगर तुम रहना चाहो ये ज़रूरी तो नहीं,
तुम मेरी पूरी ज़िंदगी हो सकते हो,
मगर मैं तुम्हारा कोई एक भी एहसास बन पाऊँ, ये ज़रूरी तो नहीं ।
By Preksha Kaliraman

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