मुहाजिर
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मुहाजिर

Updated: Dec 5, 2022

By Tarif Mustafa Khan








मेरे ग़म तमाशे या नुमाइश के ख़ातिर नहीं,

मैं किसी के ख़ाली वक़्त का खिलौना बनने को हाज़िर नहीं।

जो कोई ना आना चाहे तो मैं उसका मुन्तज़िर नहीं,

ख़रीदे जो मोहब्बतों को मिन्नतो से मैं वो ताजिर नहीं।

दोस्त बस साफ़ दिल हो भले मसले मसाएल का माहिर नहीं,

दुश्मन बेहतर ऐसे मुनाफ़िक़ से जिसकी नफरत ज़ाहिर नहीं।

सबको फ़िक्र उसकी जो दिखे तू उसकी सोच जो नाज़िर नहीं,

खुशियाँ कमाने गाँव लौट आ यही वो जगह है जहाँ तू मुहाजिर नहीं।


By Tarif Mustafa Khan





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