मित्रता
- Hashtag Kalakar
- Sep 1, 2023
- 1 min read
Updated: Jul 29
By Gaurav Abrol
यहाँ कोई दोस्त कहाँ
ये बाज़ार है ज़रूरत - मन्दों का
निहित है स्वार्थ सभी का
धनाढ्य, बलवान, अक्ल - मन्दों का
क्या विश्वास करूँ ज़ुबान पर उनकी
जो चवन्नी पर फिसल जाती है
क्या मोल करोगे मेरी दोस्ती का
भला ये कहाँ खरीदी जाती है!
दोस्ती की बस इक परिभाषा हमें पुरखों ने समझाई है विपदा में साथ रहे वही सच्ची मित्रता कहलाई है मुँह में राम बगल में छुरी
यह नीति ना हमको भाती है क्या मोल करोगे मेरी मित्रता का,
भला ये कहाँ खरीदी जाती है!
By Gaurav Abrol

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