मकान में हूँ, घर से दूर रहता हूँ
- Hashtag Kalakar
- May 9, 2023
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By Abhishek Tyagi
भीड़ में शामिल काफिले की इशरत1 दौड़ में रहता हूँ
शहर में हूँ पर अपनी ज़मीन से दूर रहता हूँ I
पुराना था, घर अपना था, यहाँ किराया लगता है
नई ऊँची इमारतों का हर शक़्स पराया लगता है
मक़ाम हासिल करने खातिर, मगरूर रहता हूँ
मकान में हूँ, घर से दूर रहता हूँ I
नाम बनाने निकला था, हूँ आज साहूकारों2 का कर्ज़दार
अपनों से दूर हूँ, यहाँ गैरों का वफादार
किसी की दुआओँ से सलामत आज भी रहता हूँ
मकान में हूँ, घर से दूर रहता हूँ I
बनावटी मुखौटों में फ़र्ज़ी अदाकार-सा हूँ
खुले आसमान में भी घुटन का कैदी-सा हूँ
एहसास-ए-सुकून नहीं है, फ़क़त3 सोने की तदबीर4 करता हूँ
मकान में हूँ, घर से दूर रहता हूँ I
हाथ मिलते बहुत, नहीं करता कंधे मिलाकर सरोकार कोई
बातें होती हैं, जज्बात-ऐ-अलफ़ाज़ सुनता नहीं कोई
महेंगे कालीनों की फरहत5 में हूँ, मिट्टी की महक से दूर रहता हूँ
मकान में हूँ, घर से दूर रहता हूँ I
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1. भोग विलास 2. व्यापारी 3. बस, केवल 4. कोशिश 5. खुशी
By Abhishek Tyagi

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