भाला फेंके
- Hashtag Kalakar
- Sep 7, 2023
- 1 min read
Updated: Aug 21
By Avaneesh Singh Rathore
बादलों की ओड से
कोई है जो तुमको देख रहा
पहचान लो जो मन में हो
कुछ सूर्य सा कुछ चंद्रमा
कुछ अनकहा ,कुछ अनसुना
कुछ दे सुकूं , है ख्वाब सा
कुछ बेहतरीन तस्वीर हो
तुम देव सूरत असीम हो
विश्वास का एक चिन्ह हो
तुम कृष्ण की शिक्षा से
तुम गुरु की तालीम हो
तुम अचंभित विश्व से
तुम प्राण खींच लो
तुम एक द्रोण शिष्य से
तुम एक बाण से जीत लो
तुम भारत के वीर हो
जो है हुनर तो साख लो
जो कहुं अगर तो मान लो
तुम ही राम तपस्वी हो
तुम ही बुद्ध महान हो
तुम भारत के वीर हो
तुम महावीर के ज्ञान से
तुम मां गंगा के नीर हो
सुदर्शन चक्र विनीत हो
धरा उठाकर चल सको
तुम ही ईश्वर दूत हो
जो बदल सको करनी को
तुम कर्म के गीत हो
रावण के तप जैसे
कभी कर्ण से वीर हो
जो वार दे प्राण भी
जो जीत ले त्रिलोक भी
महाराणा के भाला जैसे
यश की वाणी सत्य हो
तुम शिवाजी कह दिए
तुम ही तो भारत वीर हो
सम हो या विषम
तुम अलौकिक रीत हो
तुम सह सको तो वचन दो
शीश मां का झुके नहीं
तुम ही तिरंगे के वर्ण हो
जो झुक गया, तो उठे नहीं
जो डर गए, वो तुम नहीं
तुम ही तो भारत वीर हो
चंद्रगुप्त के शौर्य से
कौटिल्य की कूटनीति से
तुम ही तो एक आस हो
तुम ही तो अडिग हो
बनाओ दीवार खुद से ही
मजबूत इतनी न ढह सके
बने जो तुमसे कर मिटो
आन भारत की अमर रहे
By Avaneesh Singh Rathore

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