"बेटियों से है ज़माना "
- Hashtag Kalakar
- May 10, 2023
- 3 min read
By Roohi Quadri
हम बेटियां तो भारत की शान हैं
हम ही धर्म हम ही मज़हब हम ही ईमान हैं
हमने ही तो बिखेरी हैं खुशियां जहां में
मां बाप के हाथों को थामा है हर तूफ़ान में
हमने ही तो आंधी में जलाए आशाओं के दिए
हम जीती हैं मरती हैं बस अपनों की ख़ुशी के लिए
घर की दहलीज़ के नाम हमने अपनी हर ख़्वाहिश कर दी
सर ना झुके मां - बाप का कभी रब से यह गुज़ारिश कर दी
हम भी तो बेटों की तरह रोशन चराग़ हैं
हम बेटियां तो भारत की शान हैं
हम ही धर्म हम ही मज़हब हम ही ईमान हैं
हमने ही तो जन्मा है राम को रहीम को
हमने ही तो पैदा किया शहीद अब्दुल हमीद को
हम ही जीजाबाई है हम ही पन्ना धाय
फिर भी सारी उम्र हमने ज़ख्म ही हैं खाये
अपने आना के पर्दे को हटा कर तो देखो
तारीक़ के पन्नों को पलट कर तो देखो
सुनहरी स्याही से लिखा हमारा नाम है
हम बेटियां तो भारत की शान हैं
हम ही धर्म हम ही मज़हब हम ही ईमान हैं
हमसे ही तो गूजी है प्यार की शहनाई हर सूं
हमने ही तो उड़ाई है वफाओ की खुशबू
हमने ही तो सीखा है ग़म में भी मुस्कुराना
हमने ही तो सीखा है गेरौ को अपना बनाना
हम ग़ालिब का शेर और मीर की रूबाई हैं
ग़म छुपाकर अपने सदा आंखों से मुस्काई हैं
हमसे ही तो जिंदा मुहब्बत का नाम है
हम बेटियां तो भारत की शान हैं
हम ही धर्म हम ही मज़हब हम ही ईमान हैं
बेटे हैं मां के दिल के टुकड़े तो हममें भी बसी जान है
वो बाप का गुरूर हैं तो हम भी तो मान हैं
बेटे तो अक्सर भूल जाते हैं अपने हर एक फ़र्ज़ को
बेटियां ही हर पल चुकाती हैं इस क़र्ज़ को
बेटे तो कम ही होते हैं अपने ये तो हरजाई हैं
फिर बेटियां क्यों अपनी होकर भी होती पराई हैं
हम ही तो सर्दी की धूप, गर्मी की शाम हैं
हम बेटियां तो भारत की शान हैं
हम ही धर्म हम ही मज़हब हम ही ईमान हैं
हमने भी तो खाई है सीने पे अपने गोलियां
हमने भी तो बोली हैं आज़ादी वाली बोलियां
हम ममता की मूरत हैं और ख़ूबसूरती की मिसाल
कईं बार हैं हम बनी युद्ध में सीमाओं की ढाल
भूल नहीं सकता कोई लक्ष्मीबाई, रज़िया सुल्तान को
हमनें भी तो चूमा पर्वत, छूआ आसमान को
हम नहीं अबला हम नहीं दासी हम नहीं कमज़ोर हैं
अपने ही हाथों में आज देश की बागडोर है
आकाश की ऊंचाइयों पे लिखने नये आयाम हैं
हम बेटियां तो भारत की शान हैं
हम ही धर्म हम ही मज़हब हम ही ईमान हैं
बस एक बेटे की चाह में क्यों हमको मार दिया गया
क्यों ज़िन्दा ही आखिर हमको दफ़ना दिया गया
क्यों हमको ही देनी पड़ती है अग्नि परीक्षा
क्यों हमको ही दी गई कुर्बानी की शिक्षा
पर अब नहीं हमको है ज़ुल्म सितम सहना
हमको तो बस अब ख़ुशी की राहों पर है चलते रहना
अपने वजूद की लड़ाई के लिए मंज़ूर सब इम्तिहान हैं
हम बेटियां तो भारत की शान हैं
हम ही धर्म हम ही मज़हब हम ही ईमान हैं
अब नहीं मंज़ूर हमको घुट घुट के यूं जीना
अब नहीं औरों की ख़ुशी के लिए ग़म का ज़हर पीना
अब हमको तलाशने हैं फूलों भरे रास्ते
कांटों भरी राहें नहीं अब हमारे वास्ते
हम बेटियां तो बेटों से कम नहीं
हमसे ज़माना ख़ूद है ज़माने से हम नहीं
हौसलों के पंख लगाकर उड़नी नई उड़ान है
हम बेटियां तो भारत की शान हैं
हम ही धर्म हम ही मज़हब हम ही ईमान हैं
By Roohi Quadri

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