top of page

बस इक सवाल से रुखसार-ए-अर्श लाल हुए

Updated: Jul 18

By Odemar Bühn


बस इक सवाल से रुखसार-ए-अर्श लाल हुए

बस इक सवाल से रुख़सार-ए-अर्श लाल हुए

तो शुक्र है कि अदा ही न सब सवाल हुए


तुझे तो आपसे उतने ही इत्तिसाल हुए

कि जितने आपसे अपने मुझे फ़िसाल हुए


जो माली होता तो गरचे न दुख निहाल हुए

तो कम से कम कभी कुछ सुख तो मालामाल हुए


जब आफ़ताब बिलौरी उफ़ुक़ पे टूट गया

तब आसमाँ में यकायक क़मर कमाल हुए


नज़र गो सालों के बाद इक झपक नज़र से मिली

यही तो देख झपकने में कितने साल हुए


रहे न कुछ भी तुम्हारा अलावा सब कुछ के

वगरना कुछ भी नहीं की तुम्हीं मिसाल हुए


कभी न रात को मुझमें अकेले से घूमो

कभी-कभी इस अंधेरे में भुतहे घाल हुए


नज़र शरारती दस्तक अबस मटरगश्ती

‘नफ़स’ यों शहर-ए-ख़मोशाँ में बदख़िसाल हुए


By Odemar Bühn


Recent Posts

See All
Moonlit

By Alia Gupta The moon shines bright.  As the daughter of Hecate herself, dreams of her beloved She rustles his gentle hair His heartbeat...

 
 
 
The Escape

By Alia Gupta It's all a haze; she sits down with grace, The world quiets down, Muffled voices, blurry all around The rhythm of her heart...

 
 
 

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page