बस इक सवाल से रुखसार-ए-अर्श लाल हुए
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- Apr 13, 2024
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Updated: Apr 19, 2024
By Odemar Bühn

बस इक सवाल से रुख़सार-ए-अर्श लाल हुए
तो शुक्र है कि अदा ही न सब सवाल हुए
तुझे तो आपसे उतने ही इत्तिसाल हुए
कि जितने आपसे अपने मुझे फ़िसाल हुए
जो माली होता तो गरचे न दुख निहाल हुए
तो कम से कम कभी कुछ सुख तो मालामाल हुए
जब आफ़ताब बिलौरी उफ़ुक़ पे टूट गया
तब आसमाँ में यकायक क़मर कमाल हुए
नज़र गो सालों के बाद इक झपक नज़र से मिली
यही तो देख झपकने में कितने साल हुए
रहे न कुछ भी तुम्हारा अलावा सब कुछ के
वगरना कुछ भी नहीं की तुम्हीं मिसाल हुए
कभी न रात को मुझमें अकेले से घूमो
कभी-कभी इस अंधेरे में भुतहे घाल हुए
नज़र शरारती दस्तक अबस मटरगश्ती
‘नफ़स’ यों शहर-ए-ख़मोशाँ में बदख़िसाल हुए
By Odemar Bühn
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