प्रेम धुन
- Hashtag Kalakar
- 2 days ago
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By Bansari Pritesh
ऐसी चढ़ी है प्रेम धुन, थिरक-थिरक के नाच उठी मैं,
कि कोई तेरे अलावा मुझे ख़याल नहीं आता।
मग्न तेरी प्रीत में, प्रिये, रंग गई हूं लाल—
मुझे तुझसे प्रेम करने के अलावा अब कुछ नहीं आता।
जोगन बनी बैठी मैं, गा रही हूं सुन,
सरगम में थंगत तेरे नाम का।
मेरे तन-मन-बदन में तू ही तू, प्रिये—
तेरे सिवा अब ख़ुदा भी नहीं आता।
By Bansari Pritesh
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