प्रेम: एक तपस्या
- Hashtag Kalakar
- Jul 26, 2023
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Updated: Aug 28
By Seema CK
कृष्ण है स्रष्टा, तो राधा सृष्टि है सारी,
‘राधा-कृष्ण’-सी किस्मत मेरी ना लिख ए कृष्ण मुरारी,
विरह-वियोग की इस तपती हुई आग में तेरा मुझको यूँ धकेल के जाना,
मेरी हर उम्मीद को तेरा अपने साथ ले जाना,
राधा-कृष्ण भगवान थे जो सह गए, मैं इंसान हूँ, सह नहीं पाऊँगी,
तड़प-वेदना के इस भयंकर गर्त से मैं किसी भी जन्म में निकल नहीं पाऊँगी,
जीना मेरे वश की बात नहीं मगर शायद मैं मर भी नहीं पाऊँगी,
हद से ज़्यादा पीड़ा और वेदना महसूस होगी मुझे,
जीते-जी तो क्या, मरने के बाद भी मैं इस आग में तड़पती ही रह जाऊँगी,
ना तो भस्म करेगी मुझे, ना ज़िंदा ही छोड़ेगी,
वियोग की इस दहकती हुई आग में मेरी रूह पल-पल तड़पेगी,
जानती हूँ कि प्रेम की बड़ी ही दुर्गम और निर्जन राह चुनी है मैंने,
ताउम्र इस राह पर मैं अकेली ही रह जाऊँगी,
टूट चुकी हूँ, बिखर चुकी हूँ, हर पल तड़पूँगी,
मगर मैं मेरी तपस्या को अधूरी नहीं छोड़ूंगी,
भगवान है तू, दु:ख दे मुझे, हक बनता है तेरा,
ये संपूर्ण ब्रह्मांड झुक जाएगा, देख के तेरे प्रति शिद्दत और समर्पण मेरा,
सृष्टि गवाह बनेगी, ये मेरे प्रेम की पराकाष्ठा है,
और उस पराकाष्ठा से भी परे तेरे प्रति मेरी भक्ति, श्रद्धा, निष्ठा, आस्था है,
जितना परखना चाहे परख ले बंसी-धारी,
कृष्ण है स्रष्टा, तो राधा सृष्टि है सारी !!
By Seema CK

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