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नींदें भी अब सोने गई

By Suraiya Akbari








नींदें भी अब सोने गई

रातों को अब परवाह नहीं,

लफ्ज़ भी अब गूंगी हुई

आंखों को कुछ दिखता नहीं,

शोरों में शहरे हैं गुम

बातों को कोई सुनता नहीं,

कागज पर बस स्याही पुते

शायरी कोई पढ़ता नहीं।


By Suraiya Akbari





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