नादान सी हूँ
- Hashtag Kalakar
- May 9, 2023
- 1 min read
Updated: Jun 12, 2023
By Durva Tiwari
न जाने क्यूँ, मैं अब भी इतनी हैरान सी हूँ
अपनों की बदलती फितरत से परेशान सी हूँ।
ये तो ऐसे थे, तो अब ये वैसे क्यूँ हैं
अचानक आज , मेरे दर पे, कैसे, क्यूँ हैं
शायद आज भी , मैं काफी नादान सी हूँ
अपनों की बदलती फितरत से परेशान सी हूँ ।
हँस के करते थे मुझसे बात , तो मैं हँस लेती थी
जो बदगुमानी हो कोई , तब भी समझ लेती थी
बूतों की बस्ती मैं , थोड़ी इंसान सी हूँ
अपनों की बदलती फितरत से परेशान सी हूँ ।
तक़लीफ़ दिल को हो तो दिल ही में छुपा लेती थी
आँखों की नमीं पलकों में समां लेती थी
कभी उलझे , कभी सुलझे , हुए तूफ़ान सी हूँ
अपनों की बदलती फितरत से परेशान सी हूँ ।
कभी लगता है , ऐसे होकर भी ये क्या पाएंगे
ये भी , और मैं भी, ऊपर वहीं जायेंगे
बस यही सोचकर , हर मुश्किल में आसान सी हूँ
अपनों की बदलती फितरत से परेशान सी हूँ ।
By Durva Tiwari

Comments