नहीं आओगे!
- Hashtag Kalakar
- Jul 26, 2023
- 1 min read
Updated: Aug 28
By Aashish Thanki
पता था
नहीं आओगे
मुड़के कभी
जिस मोड़ पे
तुम मूजे छोड़ गये थे
अकेला
तनहा
बेबस
इस यक़ीं में की
कभी तो गुज़ारोगे
किसी बहाने से
में खड़ा रहता हूँ
प्रहारों उसी मोड़ पे
तुम्हारे इंतज़ार में
अकेला
तनहा
बेबस
इस उम्मीद मे की
दौड़ के आओगी
लिपट जाओगी तुम
अकेली
तनहा
बेबस
और बायाँ करोगी
कैसे गुज़ारी रातें
जी गई कैसे जीवन
अकेली
तनहा
बेबस
सुबह शाम
दिन रात
खोया रहता हूँ वहीं
अकेला
तनहा
बेबस
By Aashish Thanki

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