"दशहरा"
- Hashtag Kalakar
- Oct 16
- 1 min read
By Aadesh Chauhan
दशहरा या विजयादशमी का यह शुभ पर्व है बड़ा ही खास
क्योंकि इस दिन मानवता को मिली थी एक अनोखी आस।
असत्य को मिटा कर सत्य की जीत हुई थी इस दिन
समाज से बुराई को मिटाकर अच्छाई ने ली थी ठंडी श्वास।
चौदह वर्ष का वनवास हुआ था प्रभु संग बड़ा अन्याय
पिता की आज्ञा मानकर श्रीराम ने लिखा नया अध्याय।
सीताजी और लक्ष्मण जी ने भी उनका साथ निभाया पूरा
दृढ़ निष्ठा, सेवा और प्रेम के बने ये दोनों महान पर्याय।
उधर भाई भरत ने भी इस निर्णय को बिल्कुल नहीं माना
क्योंकि वो तो इस सबसे था बहुत दूर और बेहद अनजाना।
आग्रह और कोशिश बहुत की श्रीराम को वापस अयोध्या लाने की
परंतु एक आज्ञाकारी पुत्र होने का था लगाया श्रीराम ने बहाना।
भिक्षुक बन रावण ने किया वन में सीता माता का हरण
सेवक श्री हनुमान ने भी उन्हें खोजने को किए अनेकों जतन।
पवनपुत्र ने जलती पूंछ से लगा दी सोने की लंका में आग
अशोक वाटिका में जनक दुलारी को देख वो हो गए बहुत मगन।
श्री राम और रावण युद्ध में लक्ष्मण हुए अत्यधिक आघात
द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लेकर आए हनुमान जी अपने साथ।
लंबे युद्ध के अंत में वध किया रावण का हुए विजई कौशल्यानंदन
गिरा अहम धरती पर जोड़कर दोनों हाथ और बोला श्री राम।
रावण दहन बरसों से सिखलाता है जीवन की बहुमूल्य सीख
हे मानव, नष्ट कर दो दुर्विचार, अहम, लालच और पापों की रीत।
समाज को एक सभ्य, सबल, स्वस्थ और सुरक्षित बनाना है तो
जला दो छल, आलस्य, अहंकार, ईर्ष्या, वासना, क्रोध और बनो सबके मीत।
By Aadesh Chauhan

Comments