दरिया का किनारा और एक शाम
- Hashtag Kalakar
- May 11, 2023
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By Ritika Singh
शाम का आलम था,
दरिया का किनारा था,
दूर कहीं पानी के उस ओर,
सूरज ढला जा रहा था,
रेत पर बैठे हम उसे ताक रहे थे,
एक अरसे बाद खुद में झांक रहे थे,
उस सांझ में अजीब खामोशी थी,
दिल के कोने में कहीं एक मायूसी थी,
लहरों का शोर टीस जगा रहा था,
हवा का झोंका साथ लिए जा रहा था,
उठ रहे सैलाब को कसकर बांध रहे थे,
एक अरसे बाद खुद में झांक रहे थे...
By Ritika Singh

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