दरिया
- Hashtag Kalakar
- Nov 11
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By Mandeep Kaur
दरिया है तू, बूंद हूँ मैं,
तुझसे दूर कैसे रहूँ जब तुझमें मौजूद हूँ मैं।
खोए हुए हैं सब ये सोच कर —
बूंद कैसे दरिया हो पाएगी,
जानते नहीं कि दरिया में समा जाएगी तो दरिया ही बन जाएगी।
By Mandeep Kaur

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