तेरे यहाँ का सफ़र किए जा रहा हूँ मैं
- Hashtag Kalakar
- Apr 13, 2024
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Updated: Jul 18
By Odemar Bühn
तिरे यहाँ का सफ़र किए जा रहा हूँ मैं
यही सफ़र उम्र-भर किए जा रहा हूँ मैं
गया है दिल पर नहीं मिलेगा तिरे भी पास
तो क्यों तुझी पर नज़र किए जा रहा हूँ मैं
मैं अपने पझ़मुरदे दिल को योंही जगाता हूँ
कि अपना ख़ून-ए-जिगर किए जा रहा हूँ मैं
गुलाब से शहद ख़ार से ख़ूँ निकालकर
बहार-ए-गुलशन बसर किए जा रहा हूँ मैं
ये शाम-ए-सोज़ाँ दहकते सोने में ढल गयी
इसी क़दर ज़ार ज़र किए जा रहा हूँ मैं
मैं एक ढलता सरिश्क हूँ मेरे माहरू
तुम्हारे रुख़ पर सफ़र किए जा रहा हूँ मैं
मैं डर रहा हूँ कि मंज़िल आती रहे ‘नफ़स’
इसी तलब को अगर किए जा रहा हूँ मैं
By Odemar Bühn


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