तुमको देखूँ कि तुमको लिखूँ क्या करूँ
- Hashtag Kalakar
- May 10, 2023
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By Manish Joshi
तुमको देखूँ कि तुमको लिखूँ क्या करूँ,
प्यार कर लूँ कि ग़ज़ल कर लूँ क्या करूँ।
ज़ुल्फ रहने दूँ कि हटा दूँ तुम्हारे चेहरे से,
रात चलने दूँ कि सुबह कर दूँ क्या करूँ।
ये जो आँखों की झीलें हैं तुम्हारी,
बैठूँ साहिल पे कि बह लूँ क्या करूँ।
तुम जो अंगूठे से दबा रहे हो ज़मीन को,
समझूँ मैं हाँ कि ना समझूँ क्या करूँ।
तुम्हारे पैर जो लगते हैं जन्नत के निशाँ,
जाते-जाते दिल यहीं रख दूँ क्या करूँ।
तुम रहो चुप या कहो कुछ है एक क़यामत,
हर अदा पे ही मैं जान दे दूँ क्या करूँ।
By Manish Joshi

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