तब बताएँगे
- Hashtag Kalakar
- Oct 28
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By Gayatri
जब जानने के बाद वो चाहकर भी हमसे मिल नहीं पाएँगे, तब बताएँगे।
कैसे रुक सी जाती थी दुनिया उनके बिन,
कैसे कटती थी रातें लम्हे गिन,
हो जब साथ का आख़िरी दिन, तब बताएँगे।
कैसे महज़ मौजूदगी उनकी बनाती थी ज़िन्दगी आफ़रीन,
कैसे तोड़े हमने ख़ुदके ही वो सपने हसीन,
ना हो जब फिर मिलने का यक़ीन, तब बताएँगे।
कैसे बिखरे ख़्वाब, टूटे दिलों का शोर आशाओं से बढ़ कर था,
कैसा वो ख़ाक हुए सपनों का वीरान सा मंज़र था,
जब नहीं रहेगा वो रिश्ता, जिसके टूटने का डर था, तब बताएँगे।
कि कैसे परेशान करते थे नामुमकिन उम्मीदों के साये,
कैसे उनको छोड़ने तो गये थे हम पर छोड़ नहीं पाये,
जब सदा के लिये बिछड़ने का वक़्त आये, तब बताएँगे।
जब जानने के बाद वो चाहकर भी हमसे मिल नहीं पाएँगे, तब बताएँगे।
By Gayatri

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