तन्हा मुसाफिर
- Hashtag Kalakar
- May 10, 2023
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By Abhishek Bagri
बेदख़ल होके उसके दिल से आया हूं,
मैं फिर पानी में साहिल से आया हूं,
जे अगर सोचो तुम ये मुस्कुराहट कैसी,
मैं तन्हा मुसाफिर मंजिल से आया हूं
यूँ जानूँ ना किस मज़हब पर सर झुकाऊ,
मैं तो एक भजन काफ़िर का गाया हूं
सुने है मेरी माँ ने ताने बोहोत, लोग कहते है,
मैं एक सुनहरी शाख का फूल मुरझाया हूं
यों तो रहते है मेरे भी रिश्तेदार इस शहर मे,
गरीब हूं ना, सभी को पराया हूं
भूल गया वो मुझे आँख खुलते ही,
मैं एक गंदा सपना नींद का जाया हूं
जे अगर सोचो तुम ये मुस्कराहट कैसी,
मैं तन्हा मुसाफिर मंजिल से आया हूं
By Abhishek Bagri

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