तकिये नुकीले
- Hashtag Kalakar
- Sep 5, 2023
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Updated: Aug 21
By Ankita
चुरा रहे है अब नज़रें क्यों
क्यों खामोश ताकते रहते है
सितारे बोलते थे पहले बहोत
अब दूर दूर ही रहते है,
मैंने तो कोई आसमा नहीं माँगा उनसे
ना ज़मीन के टुकड़े मांगे हैं
सजायेंगे भी कहाँ अब ऐसे वजूद को
खेल देखे है बहोत, बहोत बार देखे है,
बेच दिया मेरी रूह को एक बूचड़खाने को
मैंने मेरे एक एक तिनके पे होते वार देखे हैं,
काली धुप में पिघलते साये देखे है
मैंने राख के बवंडर आँखों में पाले है,
बर्बाद हूँ, मुझे बर्बाद रहने दो
मेने आबादी के भी अजीब नसीब देखे है,
शरीफ होक कैसे जिए यहाँ कोई
रोज होते शराफत के बलात्कार देखे है,
हरी घास में चलना कब नसीब हुआ मुझे
यहाँ कांटो के बिस्तर और तकिये नुकीले हैं,
चुभ रही हूँ खुद को मैं
अब और क्या कहूं
बात हंसने की नहीं है, सुनो...
मैंने सीधे पैर वाले भूत भी देखे हैं।
By Ankita

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