जादुई रैकेट
- Hashtag Kalakar
- Nov 29
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By Vansh Sahni
खेलों का मनुष्य के जीवन पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव है। ये शरीर को हर्ष और उल्लास से भर देते हैं। दुनिया भर में बहुत
से खेल खेले जाते हैं, और आज की कहानी ऐसे ही एक खेल के एक छोटे से उपकरण के बारे में है।
राहुल एक जवान लड़का था जिसे टेबल टेनिस खेलना बहुत पसंद था। उसके पास एक पुराना रैकेट था जिसे उसने खुद
बनाया था। रैकेट बहुत पतला और हल्का था, परंतु बॉल के संपर्क में आते ही उसमें जान आ जाती थी। उससे लगने के
बाद बॉल इतनी तेज़ गति से जाती मानो अर्जुन का तीर हो। राहुल को उसका रैकेट बहुत प्रिय था इसलिए वह हमेशा
रैकेट अपने साथ रखता था।
परंतु, एक दिन जब वह अपने दोस्त के यहाँ खेलने गया, तब किसी कारणवश वह रैकेट वहीं भूल गया। इस बात का पता
उसे अगले दिन चला और तब तक वहाँ के परिचारक ने वह रैकेट पुराना समझकर रद्दी में दे दिया।
रैकेट वहाँ और भी कई सामान के साथ पड़ा हुआ था कि एक बॉल आई और रैकेट का उससे स्पर्श हुआ। उसी समय रैकेट
में एक अद्भुत सी शक्ति आने लगी और वह हिलने लगा। मानो एक थके, बेसहारे व्यक्ति को अपने जीवन जीने का सहारा
मिल गया हो और उसका तन-बदन स्फूर्ति से भर गया हो। यह देखकर रद्दीवाला डर गया और उसे जोर से लात मारी।
इसके कारण उस रैकेट ने उड़ान भरी। इसी दौरान रैकेट ने पहली दफा उड़ने की अनुभूति की। हवा में बिताए गए वह
कुछ क्षण रैकेट के लिए स्वर्गीय थे।
मगर, अब कितना भी कोई आसमान में उड़ ले, आखिर में ज़मीन पर आना ही पड़ता है, यही प्रकृति का नियम है, चाहे
वह पक्षी हो या इंसान या कोई साधारण रैकेट। घूमकर वह गिरा और एक रूई से भरे ट्रक पर जा पड़ा।
वह गिरने के पश्चात अपने आसपास के परिवेश पर ध्यान न देते हुए सोचने लगा कि उसके कारण ही बॉल को हर क्षण
उड़ने का मौका मिलता है, इसलिए उसे उसका आभारी होना चाहिए।
फिर एक झटका आया और उसने आजू-बाजू देखा, तो वह चकचौंध रह गया। विशाल बर्फ के पर्वत थे और ठंडी-ठंडी
हवाएँ चल रही थीं। वह अपनी रबर रूपी कोमल काले नैनों से एकटक सौंदर्य को निहार रहा था, जैसे एक बच्चा जिज्ञासा
भरी आँखों से अपने आसपास के नजारों को देखता है। ठंड के कारण लकड़ी रूपी शरीर काँप रहा था।
थोड़े क्षण बाद ट्रक अपने स्थान पर पहुँचा। सामान के मालिक ने रैकेट देखा और अपने पोते को उसे भेंट देने का सोचा।
उसने कूरियर के माध्यम से रैकेट अपने पोते के घर भेजवाया। जब रोहन ने वह पार्सल खोला, तो वह फूला न समाया
क्योंकि वह रैकेट उसके पास वापस आ गया था।
By Vansh Sahni

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