चुप-चाप रहते हो
- Hashtag Kalakar
- May 9, 2023
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By Abhishek Tyagi
पुराने संदूक में छिपे ख़त रखे हों जैसे
ख़ामोशी के साये में अनकहे अलफ़ाज़ रखते हो
ज़िन्दगी के इम्तेहान में आये हर सवाल का
होटों में दबाये कई जवाब रखते हो I
जरूरत अनुसार बोलते हो, समझदार लगते हो….
दुनियाँ से रहती हैं शिकायतें बेशुमार मगर
खामोश ही दूजे को शर्मसार करते हो
रिश्तों की साख बेआबरू न हो पाए
नुख्सों1 को पहनाये नक़ाब रखते हो I
जरूरत अनुसार बोलते हो, समझदार लगते हो….
रहते हो गुमसुम, कहीं ख़्वार2 तो नहीं भीतर?
अक्स3 में ओढ़े कुछ, अधूरे अपने सवाल रखते हो
रूखे संवाद से न जीता है दिल कोई किसी का
लगता है बरदाश्त करने का मिजाज रखते हो I
जरूरत अनुसार बोलते हो, समझदार लगते हो….
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1. कमियां 2. अपमानित 3. परछाई
By Abhishek Tyagi

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