चिट्ठी
- Hashtag Kalakar
- May 13, 2023
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By Komal Khare
इक अर्शे बाद उनको
हमारी याद आयी है,
सफेद रंग की एक चिठी
किसी दोस्त से भिजवाई है,
पैगाम था के भूल जाना मुझे
अब नहीं मिल पायंगे
खुश रहना जहाँ भी रहो
और मुबारक हो तुमको
आज तुम्हारी सगाई है..
गर जो याद आ जाये हम
कभी गलती से तो
इस पते पर आ जाना,
कुछ चिट्ठियां मैंने अपनी
कब्र में भी चुनवाई है...
पते के हिसाब से मैं पहुँची एक कबीरस्तान में हाँ टूट के मैं रोयीं हूँ उसके निशान पे वो जिसके लिए माँ बाप का घर छोड़ के आयीं अपनी सगाई बीच में ही तोड़ के आयी उसकी सांसें तो अब टूट चुकी थी ये कायनात मुझसे रुठ चुकी थी बादल भी उस दिन मेरे साथ रोया था पहली बार की तरह इस बार भी उसने हमें जमकर भिगोया था... उसके बिना तो ये जिंदगी अब बेमानी थी देखा तो उसकी कब्र के बगल एक ओर कब्र की जगह खाली थी शायद यही एक पहेली मुझे सुलझानी थी पुरानी आदत थी उसकी जहाँ भी जाता था अपने बगल मेरी जगह रोक लेता था और मुझे बुलाने से पहले हर जगह वो खुद जा कर अच्छे से टटोल लेता था हाँ इश्क की शायद ये आखरी लडाई थी रोक ली मैंने फिर अपनी भी साँसें उसके बगल में सोना ही तो मेरी आखिरी ख्वाहिश थी..
By Komal Khare

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