गुलाब की पंखुड़ियां
- Hashtag Kalakar
- May 8, 2023
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By Amreen Fatima
गुलाब की पंखुड़ियां भी कमाल करती है
खिल कर मुरझाने तक सब पर अहसान करती है
फूल के रूप में तोहफ़ा मुहब्बत का बन जाती है
और बिखर जाए तो तुरबत पर चढ़ जाती है
नई शुरुआत पर आए तो सेज सजाती है
और जिंदगी खत्म हो तो तस्वीर पर नज़र आती है
शान बन ध्वजारोहण पर बिखरती है
और आस्था बन चरणों में अर्पित हो जाती है
चुपचाप नज्मों में अल्फाज़ बन रहती है
और बंद किताबों से, दबी मुहब्बतों को आवाज़ देती है
इत्र बन नापाक महफिलों में दनदनाती है
और अर्क बन पाक हो जाती है
छूने पर नाज़ुक होंठों की याद दिलाती है
और गर जो मसल दी जाए, तो उन्हीं होंठों की लाली बन जाती है
ये गुलाब की पंखुड़ियां भी, बिल्कुल बाबुल की बेटियां सी होती है
जहां जाती है,अपनी महक छोड़ जाती है
खुद पिस जाती है,मुरझा जाती है,मर जाती है
पर सब को कुछ न कुछ देकर ही जाती है
देकर ही जाती है।
By Amreen Fatima

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