गुज़ारी है
- Hashtag Kalakar
- May 11, 2023
- 1 min read
By Ayushmaan Vashishth
अपने बटुए में उसकी तस्वीर देखते रात गुज़ारी है
हमने तो अपनी ज़िंदगी उसके नाम गुज़ारी है
ऊपर वाला हिसाब मांगता है मेरी मोहब्बत का
हमने तो बेइंतेहा मोहब्बत कर ये शाम गुज़ारी है
दरिया किनारे बैठे देखता है मेरा डूबता सूरज तू
हमने तो मोहब्बत के समुंदर से अपनी नाव गुज़ारी है
रेगिस्तान में ढूंढता है पानी तू
हमने अपनी प्यास तेरी आँखों की नीर से उतारी है
राहों के पथरों से नहीं डरा कभी
तेरी राह में चल पड़ी मेरी सवारी है
तू मुस्कुरा के तो देख
इसमुस्कुराहटकेपीछेहमनेएकउम्रगुज़ारीहै...
By Ayushmaan Vashishth

Comments