गौरैया की सभा
- Hashtag Kalakar
- Oct 6
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By Kumar Priyanshu
धरती तेरी प्यास बुझ गई है क्या, इतनी बारिश होती है तू तो पानी पीती ही नही, देखो मैं सुख रहा हूं, मैं अपने जड़ों को कितना भी अंदर डाल दु, कहीं जल से भेट होता ही नही, तुम बीमार हो क्या, ऐसा रहा तो मैं सुख कर मर जाऊंगा मां, मुझे थोड़ा सा पानी चाहिए, मुझे बहुत प्यास लगी है, और ये गर्मी मुझ से और नहीं सही जाती,पेड़ ने धरती से कहा।
कैसे पीयू मैं जल मनुष्यो ने मेरे मूंह पर कंक्रीट की जाली लगा दी है, पानी मुझ तक आती ही नही, सारा जल सागर पी जाता है, और सागर भी बेचारा मजबूर है, उसके जल जीव भी परेशान है, तुम एक बार सूरज से बात करके देखो, तुम उसके ज्यादा समीप हो तुम्हारी बात आसानी से सुनलेगा, शायद वो अपनी तपस कुछ कम करदे तो हम तीनो को कुछ कम कष्ट हो।
मै सब सुन सकता हूं, मैं तुम्हारी सारी तकलीफे देख रहा हूं, पर मैं स्वयं मजबूर हूं, ईश्वर ने जिस वायुमंडल की रचना की थी उसकी संरचना अब कमजोर पर रही है, जो मेरे अत्यधिक तेज किरणों को रोकता था, वो मनुष्यो के कारण कमजोर हो रहा है, इसमें मैं कुछ नही कर सकता, शायद तुम्हारी मदद वायु करे तुम उनसे बात करो, सूरज ने वृक्ष को कहा।
ठहरो वायु तुम हर वक्त जल्दी के बस पर ही सवार रहते हो, हमे तुम से बड़ी जरूरी बात करनी है, वृक्ष ने कहा। धरती और वृक्ष ने अपनी सारी समस्या वायु को बताया।
हे मित्र, वृक्ष, मैं इसमें तुम्हारी कोई सहायता नही कर सकता, मैं स्वयं अपने अपने बिगरे समन्वय से परेशान हूं, मेरे पास भी इसकी कोई समधान नही है।
ये सारी बातें एक छोटी गोरिया वृक्ष पर बैठ सुन रही थी, उसने कहा, आप लोग अकेले कुछ नही कर सकते आप सब को एक साथ कुछ करना होगा, आप सब लोग एक साथ बैठ कर विचार विमर्श क्यो नही करते,तो जरूर कोई सामधान निकलेगा, आखिर क्या कारण है इस परिस्थिति का, गौरैया ने कहा।
और उस सभा का मुख्य सदस्य गौरैया को बनाया गया, जो की उसकी ही बुद्धि कौशल के कारण ये संभव हो पाया था। बहुत भारी विचार विमर्श के बाद, ये बात सामने आई की हम सभी के समस्या का एक ही कारण है मनुष्य, फिर सब ने मिल कर अंतिम फैसला गौरैया के ऊपर छोरा, वो जो बोलेगी वही होगा।
भले ही गौरैया छोटे शरीर की थी पर उसका हृदय बहुत बड़ा था, उसने कहा अभी भी समय है, मैं जाती हूं, और मैं घर-घर जाकर मनुष्यों कों सामझाऊंगी, वो मेरी बात अवश्य मानेंगे, और जाते-जाते गौरैया ने कहा अगर मेरे आने में देर हुआ हुआ तो जो धरती कहेंगी आप लोग वही करना।
वर्षो बीत गए मनुष्यो को अमझाते-समझाते गौरैया स्वयं विलुप्त हो गई और सभा आज भी गौरैया का इंतजार कर रही है, अब तो बस कुछ दिन और फिर दूसरी सभा का फैसला स्वयं धरती मां करेंगी, देखते है मां की ममता कितना बरदाश कर पाती है।
By Kumar Priyanshu

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Waah waah kya baat hai .bhut hi subder kavita hai ......
Such graceful expression
Wow nice story with very deep line keep it up👍