खालीपन
- Hashtag Kalakar
- May 10, 2023
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By कुणाल देवरे
ये खालीपन बहोत खलता है,
रह - रह कर मुझ को छलता है,
पथराई सुनी आँखों में,
सूखा सा इक ख्वाब पलता है,
ये खालीपन बहोत खलता है,
तुम बिन उखड़ी उखड़ी श्वासें,
सूखे - फटते लब भी प्यासे,
गूंजता, भटकता स्वर तुम्हारा,
कानों में हरदम पड़ता है,
ये खालीपन बहोत खलता है,
याद तुम्हारी कलम बनकर,
वेदना की स्याही जब भरती है,
मेरे कोरे मन पर जब,
मुस्कान तुम्हारी उकेरती है,
सच कहूँ रह रह कर मन में,
वही क्षण मिलन का पलता है,
इक तुम्हारी मुस्कान की खातिर,
इतना सहना चलता है.!
By कुणाल देवरे

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