“कोई नहीं समझता”
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“कोई नहीं समझता”

By ZafarAli Memon


कोई बात नहीं समझता

कोई जज़्बात नहीं समझता


कोई समझ लेता है ख़्वाबों को

पर कोई रात नहीं समझता


कोई दूरी निभाना जानता है

पर कोई साथ नहीं समझता





कोई बग़ैर देखे चुन लेता है साथी

पर कोई ज़ात-पात नहीं समझता


कोई जान लेता है झूठी हँसी

पर कोई हालात नहीं समझता


कोई बात नहीं समझता

तो कोई जज़्बात नहीं समझता


By ZafarAli Memon




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