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कल हमारा है

By Asha Jaisinghani


आँकडे़ बताते है 1,000 लड़को की तुलना में 98 लड़कियां कम पैदा हो रही हैं ।आने वाले समय में शादी की शर्तें लड़की और उसके घरवाले तय करेंगे ।

कल हमारा है (कहानी)

मि बंसल - हसते हुए देखिए मि. शर्मा मेरा बेटा मेरा बिजनेस बखूबी संभाल रहा है ,कोई कमी नहीं है ।आप तो बखुबी जानते होगे रिती -रिवाज आपने भी अपने सुपुत्र का विवाह भी धुमधाम से किया था (भई उड़ती उड़ती खबर सुनी है हमने ,वो भी 5 साल पहले )इन  सालों  में  तौबा तौबा मंहगाई आसमान छू रही है  ।आदमी कँहा तक नजरअंदाज करे ? बाकि आप समझदार है ।बाकी हमें आपकी बिटिया पंसद. है (फिर हँसने लगते)।


मि.शर्मा - भाईसहाब आप फिकर मत किजिए हम कोई पिछड़े हुए नही है । ये दुनियादारी रिती -रिवाज सब समझते है आप निश्चित रहिए आपकौ शिकायत का मौका नहीं देंगे ,और  हँसते है ।

मि. बंसल - तो फिर बधाई हो भाईसाहब आज से हम संमधी (गले लगते हुए )।

मि. शर्मा - अजी समधीजी मुँह तो मीठा कराइए ,सब एक दूसरे को बधाई देते है ।

शैली और जतिन एक दूसरे को देखकर मुस्कराते है और दोनो बाहर आकर अकेले में बात करते है ।जतिन ,शैली को बताता है  कि मुझे  मूवी का बहुत क्रेज है अच्छे डारेक्टर की मूवी फस्ट डे देखता हूँ और शैली बताती मुझे नैचर बहुत अट्रैक्ट करता है ।एवरी संडे में गार्डन जरूर जाती हूँ  इसके अलावा जब भी छुट्टी मिलती है मैं गार्डन जरूर जाती हूँ थोड़ी देर मि .बंसल जतिन  को बुलाते फिर सब शर्मा फैमली  विदा लेकर जाते  है ।

दो महीने बाद धुमधाम से शैली और जतिन  की शादी होती है और सारे  रिश्तेदार चकाचौंध हो जाते है ,और बहुत जल्द शैली ऊमीद (पेरँनेट)सब खुश थे तीन महिने बाद सासुमां और जतिन ने जिद्द करी की सोनोग्राफी कराते है लड़का हुआ तो ठीक वर्ना अबार्शन करवा लेगें लड़की  तो जिम्मेदारी होती  है  नहीं चाहिए ।शैली ने सबको समझाना चाहा पर उसकी नहीं चली ।,सोनोग्राफी में लड़की और जसरदस्ती उसे राजी किया गया और उसका अबार्शन करवाया गया शैली पूरी रात रोती रही खैर वक्त अपनी रफ्तार से बढ़ रहा था शैली फिर उम्मीद से हुई और तीन महीने बाद फिर सोनोग्राफी करवाई गई शुक्र ऊपरवाले का अबके लड़का था सब खुश हुए ,और बहुत जल्द मंयक का जन्म हुआ खुश धुमधाम से नामकरण हुआ ।

वक्त पंख लगाकर उड़ने लगा और देखते ही देखते 25 वर्ष नौजवान हो गया बिजनेस मे पापा के इजाफा कर अच्छा स्टेंडर्ड मेंनटेंन कर उसके लिए दुल्हन खोजने का अभियान चल पड़ा चाचा, मामा, ताऊ सब अपनी तरफ रिश्ते कराने की कोशिश कर  रहे थे । पर कहीं भी जम नही रहा था ।मंयक की  उम्र  अब बत्तीस की   होने को है सबके माथे पे बल पड़ने लगे ।

ऐसा लगने लगा अचानक लड़कियों नदारद हो गई याँ  फिर अण्डरग्राउण्ड हो गई है ,कुछ गिने -चुने   ही प्रपोजल  सामने आ रहे थे ।थकहार कर , उनमे से ही लड़की पंसद करनी थी ।पर ये क्या जतीन और सारे घरवाले हैरान उल्टी गंगा कबसे बहने लगी  ।लड़की वाले "सातवें आसमान पर" रिचा मंयक और घरवालों को पंसद आ गई लेकिन रिचा के पापा ने कहा कि वो उनकी(जतिन)की हैसियत जितना दे नही पाएंगे और हाथ जोड़ दिए।सुनकर जतिन और.घरवाले लौट गये।

रात को मैरिज ब्यूरो वाले ने जतिन से बात करी और कहा भाईसाहब इतनी मुश्किल से तो सबको लड़की पंसद आई और बाकि खानदान वगैरह भी सही रही बात पैसो की तो ऊपरवाले का दिया हुआ सबकुछ है आपके पास है । बेटे की उमर भी तो देखिए ,ज्यादा सोचने का समय नहीं है आपके पास मेरे हिसाब से ये रिश्ता हाथ से जाने नही देना चाहिए । आपकी जानकारी के लिए बता दूँ , वो"  .मि. भण्डारी  नमकीन ,मिष्ठान  वाले उनके बेटे से भी रिश्ते की बात चल रही है ।बस लेनदेन की वजह से बात अटकी हुई है कल को उन्होंने हाँ बोल दी तो ,मुझसे शिकायत मत किजिएगा , बाकि आपकी मर्जी । फोन रख देते है।

रात को विचार विमर्श करने के बाद सुबह जतिन ने रिचा के पापा को फोन करके हमें आपकी बिटिया पसंद है हमारी तरफ से रिश्ते के लिए हाँ है ।शादी में आप जो कर सके बाकि हम  संभाल लेंगे आखिर हमारा भी एक ही बेटा और आपकी बिटिया हमारी होने वाली है तो शादी तो धुमधाम से ही करेंगे ,दोनो एकदूसरे को बधाई देते है और फोन रख देते है ।

    " हे पाठकों अपना बड़ा सा खुला मूँह बंद करिये बिलकुल नयी है पसंद हो तो जल्दी से लाईक करो और शेयर करो"


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