कमाल है ना कलम की धार?
- Hashtag Kalakar
- May 8, 2023
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By Rochak Shrivastava
मैं तुझ सा नहीं सौ वार करता हूं,
केवल कलम की ही धार से प्रहार करता हूं।
तुम ले वरदान पा लेना दासियों मुख धर,
मैं नाभि पर मार तेरा संहार करता हूं।
रख अहंकार अपने सांचे तुम मेरे मान को ललकारोगे,
मैं दुम में धर अग्नि तेरी लंका तेरे सामने ही खाक करता हूं।
तुम साधु रूप का ढोंग रचकर सीता हरण कर मानोगे,
सूझ समझ से ज्ञानी हो किंतु नीच कर्म कर मर्यादा तुम कितनी लांगोंगे।
मैं राम भक्त तुझसे बात करता हूं, सौ नहीं एक बार करता हूं,
केवल कलम की धार से ही प्रहार करता हूं।
By Rochak Shrivastava

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