क़िताब कहाँ तो शराब कहाँ
- Hashtag Kalakar
- May 10, 2023
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By Manish Joshi
क़िताब कहाँ तो शराब कहाँ,
कहाँ तो हक़ीक़त और ख़्वाब कहाँ।
साक़ी तू नशे का ही दाम लगा ले,
जो पी गए उसका हिसाब कहाँ।
दामन में टूट के गिर जाए खुद ही,
वो गुलाब रहा फिर गुलाब कहाँ।
तुमने जफ़ा की हम भी करेंगे,
लेकिन हम इतने ख़राब कहाँ।
पियें जो हम तो होश आए सनम को,
मिलती है ऐसी शराब कहाँ।
By Manish Joshi

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