कौन हो तुम ?
- Hashtag Kalakar
- Jul 17, 2023
- 1 min read
Updated: Aug 28
By विकाश कुमार भक्ता
भिन्न है तुम्हारी प्रकृति,
कार्यो में तुम्हारे,
झलकती है विकृति।
तुममे है विकर्षण का भाव,
लोगो से, समाज से,
वाणी में है कटुता का प्रभाव।
भावनाओं को नहीं देते हो महत्व,
हर रिश्ते, हर सम्बन्ध में,
ढूंढते हो लाभ का तत्त्व।
तुम्हारे ह्रदय की स्पंदन,
देती है संवेदनहीनता का आभास,
सच बताओ,
कौन हो तुम,
मानव हो,
या मानवता पर कोई परिहास।
By विकाश कुमार भक्ता

Comments