ऐ ज़िंदगी
- Hashtag Kalakar
- May 11, 2023
- 1 min read
By Vinky Kundnani
आज कल गुम सुम सी है, तुझे मनाने आई हूँ
रुथी है मुझसे तु, तुझे बहलाने आई हूँ।
माना की कभी धुप कभी छाव
यह दो है पतवार और ज़िंदगी एक नाव।
पर जैसे नदी नही छोड़ती बेहना जब आए ठहराव
तेरी नाव कैसे रुक जाए जब है पथराव।
राह चाहे कठिन हो या आसान
ना रुकूँगी मैं चाहे फ़ायदा हो या नुकसान।
ऐ ज़िंदगी करना उस दिन का इंतज़ार
लडूंगी शान से, चाहे ना हो हथियार।
चिंता नही है, ना हो चाहे जीत
हारने के बाद भी, ऐ ज़िंदगी, करुँगी तुझसे प्रीत ।
By Vinky Kundnani

Comments