एक याद
- Hashtag Kalakar
- Nov 7
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By Manpreet Singh
सुना है ये कलम, चलते-चलते अब रुक जाती है
क्यों, क्या हुआ
क्या आजकल हमारी याद थोड़ा कम आती है
मैं गुज़रा एक परवाना हूँ तो क्या हुआ
तेरे ज़हन का हिस्सा भी तो हूँ मैं,
याद कर लिया करो हमें भी मुर्शद-
हमें तो तुम्हारे याद ना करने की बात, बख़ूब सताती है
चलो मैं फिर भी इक याद ही तो हूँ,
फिर आजकल कहाँ मशरूफ़ रहते हो तुम-
सुना है कम वो भी नहीं
जिस चेहरे पर ये नज़र तुम्हारी अब पाल-पाल बिताती है
खैर अब जो हो, क्या ही कर सकते हो तुम-
कल हमारे लिए जो लिखा करते थे,
और अब उन के लिए जो लिखते हो तुम
पर फिर भी कहीं ना कहीं
वो कलम तुम्हारे हाथ मैं अब थोड़ा तो हिचकिचाती है
क्यों क्या हुआ जनाब,
सुना है ये कलम, चलते-चलते अब रुक सा जाती है।।
By Manpreet Singh

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