एक बात यह भी कहनी थी!!
- Hashtag Kalakar
- Dec 22, 2023
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Updated: Jul 28
By Aishwarya Pillai
क्या मिला इस नफ़रत से?
क्या कभी फूल खिला उस पर्वत पे ?
तेरे खुदा ने ये कभी ना कहा,
कि बंदे मेरे तू खून बहा |
जनाब ! फिर क्यों हर बार,
पहने हम गोलियों का हार ?
पूरा ना होगा तेरा ये इंतेकाम,
बहा कर जहां का खून सरे-आम !
क्यों ना करु मैं वार-ए-तलवार,
जब सर पर सनक है सवार |
सरहद पर देकर खून पसीना,
करते है हम रक्षा भारत की, तान के अपना चौड़ा सीना,
पर तूने मां से उसका बेटा है छीना |
अब हम भी पीछे हटेगें, ये सोच कभी ना |
घुस आया है फिर तू कश्मीर छीन ने,
जहां में हमारे खुदकी तस्वीर ढूंढने |
समय का चक्र घूमता है, रुक्ता कभी नहीं,
खुदा सब देखता है, भूलता कभी नहीं |
लौट जा वापस, यही है बह्तर,
इतिहास फिर दोहराऐगा, ये स्थिती देख कर..
By Aishwarya Pillai

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