एक पीड़ित भ्रूण का दर्द
- Hashtag Kalakar
- 2 days ago
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By Prakash Dubey
सुनो एक अजन्मी बच्ची की ये पुकार
आखिर क्यों नहीं करता उसे ये समाज स्वीकार
अभी तो माँ की कोख में ली ही थी अंगड़ाई
फिर किस गुनाह के खातिर है मेरी बली चढ़ाई
पूजती है हर घर में देवियों को जो दुनिया
फिर क्यूँ दिखती है इन्हें हम नन्ही सी जान में कमियां
अरे धरा पर जिन बेटियों का समाज करता है बलात्कार
फिर कैसे सुनाई देगा उन्हें हम मासूम बच्चियों की चीख पुकार
कोख में हम नन्ही जानों की हत्या देख जब ना हो एक माँ का कलेजा तार तार
फिर क्यूँ ना हो ऐसी ममता पर हमें धिक्कार
अरे कब तक हम अजन्मी बच्चियों की साँसें रोक बनाते रहोगे एक माँ की कोख को कब्रिस्तान
अब वक़्त आ गया है, कैद करो अपनी गुनहगार सोच और लगाओ भ्रूण हत्या पर रोकथाम.
By Prakash Dubey

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