एक कीड़े से मेरी गुफ्तगू हुई
- Hashtag Kalakar
- May 8, 2023
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By Amreen Fatima
एक कीड़े से मेरी गुफ्तगू हुई
थोड़ा रेंगा वो, फिर उसकी बात पूरी हुई
कहने लगा मुझसे, "मत देखा कर मुझे इस हिकारत से ,
मैं मामूली सही पर बड़ी दोस्ती है मेरी इस कुदरत से"
मैंने उसे मसलना चाह, और कह उसे गुरूर से,
" तू चाहे दोस्त हो या हो दुश्मन, मेरी बला से"
कीड़ा फिर रेंगा, और रेंग कर बोला
" तू जानती नहीं, मुझी से चलता है ये दुनिया का गोला"
सुन कीड़े की बात मुझे हँसीं आ गई
है तो मामूली कीड़ा और बाते करता है शाही
कीड़े फिर रेंगा और बोला,
" करता हूं मैं ही दुनिया की गंदगी साफ,
करता हूं कब्र मैं तुम्हारा इंसाफ
मैं ही तुम्हारे शरीर को खाता हूं
और धरती मां को फिर से सजाता हूं"
सुन कीड़े की बात आंखें मेरी खुल गई
हैसियत कितनी आला उसकी, ये बात भी पता चल गई
कीड़े के ही तरह होता गरीब भी
होता है वो भी दोस्त कुदरत का ,करीब ही
रेंगता है अमीरों के इशारों पर
पर होती है उसकी भी हैसियत सितारों से भी ऊपर
मत देखो तुम किसी को हिकारत की निगाह से
कि है वो इस दुनिया में किसी खास वजह से
कीड़ा हो या हो कोई गरीब
होते है यही भगवन के सबसे ज़्यादा करीब
आखिर में काम यही आते है
जब दूसरे सब छोड़ के जाते है
By Amreen Fatima

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