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एक कहानी सवालों की

By Prakash Dubey


नवंबर 2017 की वो रात थी जब एक स्कूल की  बस में सवार होकर 30 बच्चे कुछ अध्यापकों के साथ रांची के एक स्कूल में विभिन्न प्रतियोगिताओं में शामिल होने के लिए निकले थे….घने जंगलों ऊंची पहाड़ों से होते हुए वो बस मानों अंधेरे में भागी जा रही थी.  बाहर कोहरे की चादर में लिपटा घना अंधेरा था , विरान सी सड़कें थी और ठंड मानो जैसे कि जमा दे  और इधर  सब टोली नए अनुभव का लुफ्त उठा रही थी. मिलों दूरी तय करके रात करीब 2 बजे उनकी बस रांची के उस स्कूल में प्रवेश करती है जहां पहले से कई स्कूल के छात्र छात्राएं मौजूद थे.

पर उस स्कूल की दशा बड़ी जर्जर सी थोड़ी नकारात्मक सी थी मानो किसी ने सालों से वहां कदम ना रखा हो पर इतने चहल पहल  के कारण शायद उस चीज पर ध्यान नहीं था. फिर खान  खाकर सभी स्कूल वहां के अलग अलग कक्षा रूपी कमरों में चलेग गए और ये स्कूल के कुछ  छात्रों को जगह के अभाव के कारण स्कूल की चौथी मंजिल के कमरे में जाना पड़ा और उस मंजिल के पर एक अलग सी ठंडक थी जैसे वहां कुछ अजीब सा हो और कमरे भी मानो कुछ ख़ुफ़िया कहानियों से भरे हो. पर जैसे तैसे वो छात्र वहां सोने लगे पर अचानक ही किसी के चिल्लाने की आवाज़ आयी और सब उस और गए पर एक लड़का राज (काल्पनिक नाम) उसी कमरे में रह गया और उसने खिड़की पर कुछ देखा और बेहोश हो गया.  फिर सब वापस आकर सो गए और अगली सुबह सब बिल्कुल साधारण सा हो गया था मानों कुछ हुआ ही ना हो 

अब प्रतियोगिता की शुरुआत हुई और अलग अलग स्कूल उनमें शामिल होने लगा और फिर शाम को सब चाय की चुस्कियों के लिए एकत्रित हुए जहाँ राज की मुलाक़ात पास के स्कूल से आयी हुई एक लड़की रितिका (काल्पनिक नाम) से हुई और फिर उन दोनों में एक अच्छी दोस्ती हो गयी और वो रोज इसी तरह मिलने लगे  और कुछ ही समय में इनके दिलों में इश्क की बिगुल बजने लगे और ये खो से गए. फिर प्रतियोगिता का अंतिम दिन आया और राज और रितिका अपने गंतव्य की और निकलने लगे, सभी छात्र अपने स्कूल वापस जाने के लिए तैयार थे और उधर दोनों प्रेमी जोड़े कुछ पल साथ बिता रहे थे कि तभी वहां कुछ लड़के आए और उस बेचारी के साथ जबरदस्ती करने लगे उसे मारने लगे और राज को भी मारा और अपनी जान बचाने के खातिर जब  भागने लगी तो एक तेज रफ्तार गाड़ी ने उसे टक्कर मारी और वो तड़पती हुई मर गयी और राज उसे बचा ना सका और ये दोनों बिछड़ गए

राज रोता रहा और जाने से पहले उसी चाय की टपरी पर वापस गया और वहां से चला तो गया पर सालों बाद वो उसी स्कूल के किसी कार्यक्रम में शामिल होने आया और आज भी रितिका और उसकी मौत वो भुला नहीं था और उसका इश्क उसके रूह पर काबिज़ कुछ इस तरह था कि वो वहां से कहीं वापस नहीं लौटा. कहते है उसने अपनी जान दे दी ताकि उसका शरीर ना सही पर रूह तो रितिका की रूह से जुड़ सकें पर सच कोई नहीं जानता. पर इस कहानी में सवाल भी कई है कि आखिर राज गया कहा?, आखिर उस रात वो किसे देख बेहोश हुआ था? आखिर इतने सालों बाद राज ही क्यूँ उस स्कूल में दुबारा आया? पर ये सारे सवाल कहानी के अंत तक सवाल ही रह गए.


By Prakash Dubey

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