इंतज़ार
- Hashtag Kalakar
- 3 hours ago
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By Kavya Mehulkumar Mehta
इंतज़ार करते-करते साल बीत गए,
बसंत भी गया, पावस भी गया,
न वो आया, न उसका कोई पैग़ाम।
बैठे रहे हम वहीं,
इंतज़ार करते-करते।
जाप उसका करते रहे ,
इस आस में कि कभी तो वो लौटे।
लेकिन रोज मिले मायूसी से ,
आज भी जब ज़िक्र उसका होता है,
आँखें हो जाती है नम हमारी ।।
पर यह कम्बख्त दिल न मने,
उस का इंतज़ार आज भी करे ।
By Kavya Mehulkumar Mehta

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