आशा और निराशा
- Hashtag Kalakar
- Nov 8
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By Dr. Hari Mohan Saxena
मिलकर आशा और निराशा
जीवन में ये करें तमाशा,
आशा रखकर जीवन काटो
रहे निराश तो बढ़े हताशा।
मन में प्रबल आस्था लेकर
जो आशा के दीप जलाते,
उनको प्रभु निराश न करते
जीवन उनका सफल बनाते।
आशा, कठिन परिश्रम मिलकर
काम मनुज से बड़े कराते,
जो निष्काम कर्म करते हैं
वही सफल हो श्रमफल पाते।
कर्म नहीं, यदि सिर्फ अपेक्षा
नहीं पूर्ण हो कभी शुभेच्छा,
केवल भक्ति काम न आती
युक्ति, शक्ति ही काम बनातीं।
क्षीण बनाती हमें निराशा
नहीं पूर्ण होती अभिलाषा,
हो निराश जब कर्म को छोड़ा
तभी भाग्य ने भी मुख मोड़ा।
आशावान जतन जब करते
मेहनत से पाषाण पिघलते,
प्रण करके जो नहीं फिसलते,
उन्हें समस्या के हल मिलते।
By Dr. Hari Mohan Saxena

Nice motivating poem
Very relevant in today's time..nice words
Awesome poetry with truth of life
कल्पना से परे बहुत अच्छी काव्य शैली
Really very meaningful and inspiring poem