(अमर वीरांगना)
- Hashtag Kalakar
- May 9, 2023
- 2 min read
By Ankita Sharma
शोणित से लिखा स्वर्णिम इतिहास,
बलिदान से हुआ था नत आकाश,
मातृभूमि की रक्षा जिसको प्राणों से भी प्यारी थी,
शौर्य का साकार रूप ,बिठुर की राजकुमारी थी।
गुड़िया ,चूल्हा चौका ना ही शृंगार से मेल,
घुड़सवारी तलवारबाजी बन गए प्रियतम खेल,
मर्दाना शक्तियों को समेटे एक अद्भुत नारी थी,
संग ले जन्मी क्रांति की ज्वाला, अमर चिंगारी थी।
वधू बनने की घड़ी आई खुशियों कि लहर छाई,
रजवाड़े में गूंजी शहनाई ,सजा भवन बंटे मिठाई,
बदल गया मातृशक्ति का अर्थ,झांसी में आई "लक्ष्मीबाई"
वारिस को होने लगे ढ़ेरों जतन,प्राप्त हुआ पुत्र रत्न
नियति ने दी दुहाई, महल को सुख शांति न भाई
पिता पुत्र का शोक देकर ,परीक्षा की घड़ी निकट ले आई।
ना टूटी ,ना हारी, ना ही लगाई मदद कि गुहार
वचन देकर प्राणों का,राज सिंहासन का किया सत्कार
महिला कैसे संभाले राज पाट,सभा ने आपत्ति जताई
आखिर कौन हो अगला उत्तराधिकारी,समस्या बनकर आई
सौभाग्यशाली आनंद राव दामोदर राव की उपाधि पाई।
अब झांसी पर ब्रिटिश राज घोर घटा बन छा रहा था
काला साया बनकर युद्ध को मंडरा रहा था
छोटी पड़ रही सेना की टुकड़ी, सैन्य बल लड़ने को कतरा रहा था
हर एक जेहन में फूंक क्रांति कि ललक,
जलाने को ज्वाला की धधक,झांसी की नारी सेना बनाई
वीरांगनाओं में ऐतिहासिक नाम,रानी के रूप में हुई गुमनाम
वतन प्रेम में शहीदी पाई, वीरांगना "झलकारी बाई"।
तब धर्म से बंट जाता ,वतन जो,गौस खान न मिट्टी में लीन होता,
ना साथ देती आत्मा की पवित्रता, पीर अली का मन न मलीन होता,
ना हो पाता स्वतंत्र ये वतन,काशी ,सुंदर की वीरता का कोई खरीद होता
ना होता गद्दार सदाशिव ,ना देश अंग्रेजो का मुरीद होता।
ना बुझा सका चिंगारी को कोई,आज़ादी का शुरुआती जो किनारा था,
ना मिटा सका अस्तित्व मिट्टी का, अंग्रजों ने भी भ्रम गुजारा था
झुकाना चाहा अपना ही सिर,वो गद्दार हमारा था
सुशोभित रही धरती वीरों से, न्यौछावर जिनका जीवन सारा था
सिर झुका तो केवल मां के लिए,सदा विजयी वतन हमारा था।
जब जब विपदा पड़ी झांसी पर,जन जन को विश्वास दिखा
ढाल बनकर खड़ी रही,रक्त से इतिहास लिखा
ईश्वर का वरदान थी वो,दुर्गा की छवि प्यारी थी
काल बनकर आई जब जब, रण चंडी संहारी थी
खदेड़ दी विशाल सेना ,अकेली सब पर भारी थी
मातृ शक्ति कोमल हृदय,युद्ध में प्रहारी थी
रक्त की हर बूंद जिसने, वतन की रक्षा में वारी थी
दैवीय शक्ति, अमर वीरांगना ,जन्म उनका विजय हमारी थी।
By Ankita Sharma

Comments