अभिमन्यु
- Hashtag Kalakar
- May 10, 2023
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By Chaitali Deepesh Sinha
कहलाता था वह सुभद्रा नंदन,
था वह गरम तो अग्नि और ठंडा तो चन्दन|
अर्जुन का था वो सबसे अमोघ तीर,
सच में अभिमन्यू था एक महावीर|
द्रौपदी की आखों का था वो तारा,
समय के अंत तक याद रखेगा उसे जग सारा|
उत्तरा का स्वामी और परिक्षित का पिता,
उसकी बातें जैसे ज्ञान की सरिता|
स्वयं कृष्णा से मिला था उसे परम ज्ञान,
लगाता था शत्रु में वह अपना पूरा ध्यान|
महामहिम भीष्म को उसने था हराया,
परन्तु उन्हें बाणों की शय्या पर देख बहुत दुःख भी पाया|
बचाने अपने ज्येष्ठ पिता की जान
कूद पड़ा चक्रव्यूह में झेलने अपमान|
तोड़ दिया उसने चक्रव्यूह और लगा महारथियों से लड़ने,
उसे क्या पता था कि जा रहा था वह कायरों के हाथों मरने|
वीरता से लड़ा वह हर योद्धा से,
पर छल से फँसा लिया उसे कौरवों ने अपने जाल में|
तोड़ देता वह द्रोणा का अभिमान और चक्रव्युह,
यदि न मारा जाता निहत्था अभिमन्यु|
एक साथ किया उस पर अनेक योद्धाओं ने प्रहार,
नहीं उठा सका नन्हा सा बालक यह भार|
निहत्था अभिमन्यु अंत तक लड़ा,
पर इतने अत्याचारों के बाद भूमि पर गिर पड़ा|
न हीं है अर्जुन महान, और न हीं है महान कर्ण,
सर्वश्रेष्ठ योद्धा का पद पकड़ता है इस वीर के चरण|
"प्रीत" चाहती है की याद रखे उसे यह पूरा समाज,
जिसकी दया से जी रहे थे स्वयं धर्मराज|
By Chaitali Deepesh Sinha

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