अनकंशियस
- Hashtag Kalakar
- May 10, 2023
- 1 min read
By Raj Modi
मेरे बिखरते लड़खड़ाते शब्द पे मत जाना
वो उस जगह की पैदाइश है
जहां मैंने अपने सारे दुखों को दबा रखा है,
और अब मैं खुद भूल चूका हूं
की वहां कितना कचरा रख रखा है।
नफरतों के पेड़, भूलो के पत्ते
और ऐसे अनेक, नजाने कितने
एक पूरा अनंत मैदान है
जिसमे आसमानी पेड़ो के
मोटे मोटे लकड़े है
एक और से दूसरी और जाने के लिए
रेंगना पड़ता है,
अपने आपको लकड़ियों के बीच
घसीटना पड़ता है
अनंत दूर, अलग अलग दिशाओं में
अलग अलग यादों से बने
अलग अलग शब्द की व्याख्याएं है
वहा कही से अपने शरीर की पूरी ताकत लगाके
मैं दो शब्द तुम्हारे सामने लाता हूं
तो मेरे बिखरते लड़खड़ाते शब्द पे मत जाना
वो उस जगह की पैदाइश है,
फिर भी पेश करूंगा, अच्छा लगे तो बताना
'की तुम कितना… कितनी खूबसूरत.. खूबसूरत हो…'
By Raj Modi

Comments